टीकमगढ़ के एतिहासिक कुंडेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

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टीकमगढ़। आज जिले में स्थिल कुंडेश्वर में बना शिवधाम मंदिर में श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ उमड़ी रही, बुंदेलखण्ड के लोगों का आस्था का केंद्र बना शिवधाम में भगवान शंकर की आराधना करने हजारों लोग पहुंचे। भगवान भोलेनाथ का प्रिय मास होने के चलते अब पूरे महीने भक्तों का यहां तांता लगा रहेगा। माना जाता है कि यह शिवलिंग सैकड़ों साल पहले जमीन से प्रकट हुआ था।

प्रचलित कथानुसार, हजारों सालों पहले यहां पर एक पहाड़ी हुआ करती थी जहां पर खटीक जाति के लोग निवास करते थे, वहीं पर एक महिला ओखली में धान कूट रही थी तभी जमीन से अचानक भारी मात्रा में खून निकलने लगा और महिला घबरा कर ओखली पर मूसल रख लोगों को बुलाने चली गई और जब लोगों ने आकर देखा तो कुंडे के नीचे शिवलिंग प्रकट हुआ था। तभी से इनका नाम कुंडेश्वर भगवान हो गया।
यह शिवलिंग प्रति साल चावल नुमा आकर में बढ़ता है और मोटा भी होता है यह एक पंच मुखी शिवलिंग है जो लोगों के कष्टों को हरता है यहां पर दर्शन करने हजारों की संख्या में भक्तगण करने आते हैं। सावन सोमवार को तो यहां की छटा ही अद्भुत होती है, श्रावण मास में भोले नाथ का अभिषेक करना विशेष फलकारी माना जाता है।

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